ek ladki ka chehra love poetry
अजनबी सा भी था हमनशी सा भी था
दिलकशी से भरा मरहबी सा भी था
था वो अमृत के जैसा ही मीठा सदा
था वो महखानों की बोतलों का नशा
एक लड़की का चेहरा कुछ ऐसा ही था।
रजनीगंधा की खुशबू बालों मे लिए
और गुलाबों की रंगत गालों में लिए
अपनी जुल्फों में काली घटाएं भरे
अपनी मुस्कान मे मीठी राहत लिए
बन बसंती हवाओं सी आती थी वो
मेरे दिल को हिला कर के जाती थी वो
उसके अंगों से खुशबू बरसती थी यूं
जैसे फूलों से हर दम रहा हो सजा
एक लड़की का चेहरा कुछ ऐसा ही था।
उगते सूरज की लाली समेटे हुए
चांद की चांदनी से नहाती थी वो
सबकी नजरों को खुद से लपेटे हुए
बन के इक हूर गलियों से जाती थी वो
उसके नैनों की बातें मैं कब तक करूं
कितनी गहराई उनमें मुझे ना पता
लिपटे आपस में नाज़ुक दो कलियों से लब
पागल करने के असली यही थे वजह
एक लड़की का चेहरा कुछ ऐसा ही था ।
एक लड़की का चेहरा कुछ ऐसा ही था ।